
तुम कह सकती हो,तुम क्या समझोगे,पर मैं तुम्हे समझता हूं,मैं तब से तुम्हे,समझता हूं,जब मैं “मैं” बन रहा था…बल्कि मैंने,दुनिया को,तुमको,सबको,सिर्फ तुम्हारी,नजर से,देखा,जाना,समझा,उन नौ महीनों में… मैं तब से जनता हु तुम्हे… फिर जब तुमने,मुझे पहली बारराखी बांधी,मैं तब से जानता हूं तुम्हे… पहली बार जब,जब हम पार्क में मीले थे,उस समय भी डायरी,मेरे हाथों […]
मैं जानता हूं तुम्हे…